दो पल के जीवन से इक उम्र चुरानी है ------

शुक्रवार, अक्तूबर 8 By मनवा , In

दोस्तों , इक बहुत ही ख़ूबसूरत गीत है ""इक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है जिन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है "" ----------इसी गीत की इक लाइन है की"" दो पल के जीवन से इक उम्र चुरानी है ""-----जब भी मैं ये लाइनें सुनती हूँ सोचती हूँ की क्या दो पल के जीवन से हम इक पूरी उम्र चुरा सकते हैं ? कैसे चुरा सकते हैं ? जीवन दो पलों का हो या हजार पलों का इक लम्बी उम्र कैसे कोई चुराए भला ? क्यों लिखी गयी होगीं ये पंक्तियाँ ? हमेशा की तरह इस बार भी मैंने अपने हिसाब से इनके अर्थ निकालें हैं सही है या गलत इसका फैसला आप पर छोड़ती हूँ




दोस्तों मुझे लगता है की जीवन तो सही में दो पल का ही होता है लेकिन जब इसमे कोई भी पल हम खुद के लिए नहीं जी पाते और ताउम्र समझोतों और सामंजस्य में ही बिताते चले जाते हैं तो यही दो पल का जीवन बोझिल बन कर सदियों सा लम्बा लगने लगता है हम इस पूरे जीवन में खुद को जान नहीं पाते और इक दिन अनजाने से इस दुनियाँ से विदा ले लेते हैं


हम जीवन तो जीते है लेकिन उम्र नहीं चुरा पाते उम्र चुराने से मतलब उन पलों से है जो हमने सिर्फ अपने लिए जीये, दिल की सुनी और खो गए खुद में ही , वो पल जब हम खुल के हसें , वो पल जब हम जी भर के रोये और वो पल जब हमने ये जाना की हम क्या है ? और हम क्या चाहते हैं ?जिस पल हमने खुद को नदी सा बहने दिया , हवा सा मुक्त कर दिया दोस्तों तभी तो चुरा ली थी हमने जिन्दगी है की नहीं ?


लेकिन क्या ये चोरी आसान है ? इस चोरी के अपने अलग नुक्सान हैं इस चोरी में आंसू बेहिसाब हैं अंतहीन प्रतीक्षा है असहनीय दर्द है और अव्यक्त भावनाएं हैं हजारों ख्वाहिशे ऐसी की हर ख्वाहिश पर दम निकले -----खुद को खोकर किसी के हो जाने की चाह , इसमे आप जाते हैं इक उम्र चुराने और इक लम्हा भी अपना नहीं हो पाता की "लम्हा लम्हा तरसे जिस लम्हें के लिए वो लम्हा भी आया तो इक लम्हे के लिए "


अरे आप तो उदास हो गए इस दो पल के जीवन से उम्र चुराने के फायदें भी है


ये चोरी आपको जीवन के अर्थ सिखाती है ये आपको रिश्तों के रहस्य बताती है ये आपको लम्बे बोझिल जीवन के रेगिस्तान में आशा के मरुद्यान दिखाती है ये साधारण स्त्री को मीरा बनाती है , ये कबीर बनाती है ये अम्रता प्रीतम , इमरोज और साहिर को गढ़ती है ये रजनीश को ओशो बना देती है ----------------


दोस्तों जीवन दो पल का जरुर है लेकिन इन दो पलों में से हमने इक पल भी खुद के लिए जी लिया तो ये इक लम्बी उम्र ही होगी और ये जिन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है लेकिन याद रहे दो पल के जीवन से इक उम्र चुरानी है

5 comments:

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

बहुत बढ़िया .........आभार .

8 अक्तूबर 2010 को 5:48 pm बजे
संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति....

नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

8 अक्तूबर 2010 को 6:23 pm बजे
Mahendra Arya ने कहा…

क्या तुम्हारी सारी बातों का अर्थ मेरी इस कविता में समाहित है ?

एक पल यूँ जी लिया ,बस जिंदगी को जी लिया
एक मधुकण पी लिया जीवन का अमृत पी लिया

जिंदगी की चाहतों का अंत कुछ होता नहीं
स्वप्न अपना जी लिया तो चाहतों को जी लिया

सौ बरस की जिंदगी को क्या करूँ जी कर भला
एक दिन में जैसे हमने एक जनम को जी लिया

प्यास बुझ सकती नहीं सावन की इक बरसात से
अंजुरी पर होठ रख कर सारा सावन पी लिया

सचमुच दो पल अपने ही जिंदगी है बाकी बस संसार .

9 अक्तूबर 2010 को 9:36 am बजे
Mukul ने कहा…

Good one! Really nice...

5 मार्च 2011 को 5:54 pm बजे

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