किसी के आसुंओं में मुस्कुरायेगें ----------------

शुक्रवार, दिसंबर 24 By मनवा , In

क्रिसमस और नववर्ष के अवसर पर आप सभी को मनवा की और से ढेरों शुभकामनाएं मनवा में आज बातें क्रिसमस ट्री और सांता की , दोस्तों दुनिया में अक्सर वही चीज सम्मान और प्यार  पाती  हैं जो दूसरों के काम आती है जैसे वृक्ष नदियाँ आदि क्रिसमस की जब भी बात होती है जहन में सबसे पहले सांता की छवि उभरती है इक ऐसा व्यक्ति जिसके पास सभी को देने के लिए कुछ ना कुछ सौगात है और वो भी मुस्कराहट के साथ निस्वार्थ और सच्चे मन से ,और याद आता है क्रिसमस ट्री जिस पर सुन्दरसुन्दर मनचाहे तोहफे लटके हो




दोस्तों हम भी तो अपने जीवन में हमेशा इक ऐसा क्रिसमस ट्री चाहते हैं जिस पर आनन्द , खुशियों प्रेम और शान्ति के फूल लगे हों ,और साथ ही सच्चे निस्वार्थ और निच्छल रिश्तों के फल लगे हों और ये ट्री { वृक्ष } हमेशा हरा -भरा रहे इस पर लगे रिशते के फल चाहे खट्टे हो या मीठे पर लगे रहे ,कोई फल समय से पहले टूट के गिरे नहीं कोई फल रूठ कर टूटे नहीं इस टूटने रूठने पकने और गिरने के खेलके वावजूद भी हमारे क्रिसमस ट्री की जड़ें हमेशा मजबूत रहें


अब बात सांता की , दोस्तों हम उम्र से कितने भी बड़े हो जाए लेकिन इक सांता का इन्तजार हम सभी को जरुर रहता है की कोई कहीं से आये और हमें हमारी मन चाही चीज दे जाए है ना ? और हम हमेशा बाट ज़ोहते रहते है की कोई आयेगा और जरुर आयेगा जो हमें खुश कर जाएगा जो हमें खुशियाँ दे जाएगा --लेकिन क्या किसी सांता के इन्तजार में समय बिताने से अच्छा नहीं की  है   की किसी के जीवन में सांता बन कर पहुँच जाए उसका जीवन खुशियों से भर दे किसी की आखं के आसूं पोंछ दें और किसी उदास चेहरे पर इक सुन्दर सी मुस्कराहट खिला दें


हम सौगातों की पोटली लेकर निकल पड़े किसी दिन और जिसे जो चाहिए उसे वो देते चले , किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार वाली स्टाइल में मुझे हमेशा से लगता है की किसी की आखों में अगर हमारी वजह से आसूं आ जाए तो इससे बड़ा कोई पाप नहीं और इसके उलट यदि किसी के होठों पर हमारी वजह से मुस्कराहट खिल जाए तो इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं ,दोस्तों तो चलिए ना इस बार किसी की होठों पर इक मुस्कुराहट खिलाये किसी के दर्द को अपना बनाए अब आप कहेगे इससे क्या फायदा ? अरे भई इससे इक फायदा है की मर के भी किसी को याद आयेगे किसी के आसुओं में मुस्कुरायेगे तुम्हे तो हो ना हो मुझे है एतबार जीना इसी का नाम है

4 comments:

bharat parashar sagar ने कहा…

bahut sundar vichaar chalo aapaki baat maan kar is baar kisi ke chehare par muskuraahat lakar ham bhi dekhege

25 दिसंबर 2010 को 12:11 pm बजे
बेनामी ने कहा…

Dr. Bellani

I Have read your views and appreciate very much. I shall be continuous touch with your blog.

26 दिसंबर 2010 को 10:19 pm बजे
Mahendra Arya ने कहा…

बहुत अच्छी बात कही आपने - किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार ! उधार लेने की क्या जरूरत है , मित्र ,दर्द तो यहाँ बेपनाह बिखरा पड़ा है , चाहो उतना चुन लो . उधार की चीज तो लौटानी पड़ती है , वो भी ब्याज के साथ . ये उधार तो कोई वापस लेना ही नहीं चाहेगा . लेकिन है ये उधार ही . कोई जब हमारा दर्द उधार लेता है तो फिर कोई और उसका , और फिर कोई और उसका ; इसी तरह चलता है ये उधार का सिलसिला . जो इस दर्द को उधार ले नहीं सकते उनसे उधार लेने वाला भी उन्हें नहीं मिलता .चलो इसी बात पर एक कविता सुनाता हूँ , इसे नए वर्ष का उपहार समझो -

तुम अपने सुख में लगे रहे ,मैं गैरों का बन मीत गया
तुम जीत जीत कर हार गए ,मैं हार हार कर जीत गया
मेरी झोली भरती रहती , लोगों के आशीर्वादों से
तुम भरने की चिंता में थे ,पर जीवन का घट रीत गया

नए वर्ष और क्रिसमस की ढेरों बधाइयाँ !!!!!!

28 दिसंबर 2010 को 10:25 pm बजे
मंजुला ने कहा…

तुमने ये पोस्ट कब डाली पता ही नही चला ....

हम हमेशा बाट ज़ोहते रहते है की कोई आयेगा और जरुर आयेगा जो हमें खुश कर जाएगा जो हमें खुशियाँ दे जाएगा --लेकिन क्या किसी सांता के इन्तजार में समय बिताने से अच्छा नहीं की है की किसी के जीवन में सांता बन कर पहुँच जाए उसका जीवन खुशियों से भर दे ...

वाह यार अच्छा लिखा है ....
नया साल तुमरी लिए बहुत खुशिया लाये यही दुआ है .........

30 दिसंबर 2010 को 3:43 pm बजे

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