चंदा, आज तो सच बोल ही दे -------------
आज करवा-चौथ का पावन व्रत है और इस पवित्र दिन सभी सुहागने ( आजकल कुंवारी भी ) भी अपने पति परमेश्वरकी लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रतकरती हैं और रात को चाँद देख कर ही भोजन ग्रहण करती हैं | हमेशा मन में कई सवाल उठते थे| की किसने ये रीतबनायी ? सिर्फ स्त्रियाँ ही क्यों करे कामना ? आदि आदि फिर सोचा क्यों ना , उस चाँद से ही पूंछू जो सदियों से कायम है| युग बदले , लोग बदले ,रिश्तों के मापदंड बदले ,रिश्तों के मायने बदले ,हम बदले तुम बदले लेकिन नहीं बदला तो सिर्फ वो चाँद जो आकाश में प्यार का प्रेम का प्रतीक बन कर सदियों से मुस्कुरा रहा है तो आज कुछ सवाल चंदा से ----------
चन्दा , सुन रहे हो ना ,सच बताओ सदियों से तुम भारतीय स्त्रियों के बहुत करीब रहे हो इन स्त्रियों ने हमेशा तुममे अपने प्रेमी / पति की सुन्दर छवि खोजी है |औरजब कोई नहीं पास हुआ तो तुम्हे ही साक्षी मान कर अपना दिल का हाल कह सुनाया है |कभी तुम्हे डाकिया बनाया तो कभी प्रेम का साक्षी | तुम हमेशा प्रेम करने वालों के सुख -दुःख में साथ रहे हो| आज ,तुमसे ही पूछती हूँ |बता चन्दा , ये स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत क्यों करती हैं?
पूरे वर्ष किसी न किसी बहाने अपने पति अपने पुत्र और परिवार के मंगल के लिए व्रत क्यों किये जाते हैं ? कोई व्रत कोई पति अपनी पत्नी या बेटियों के लिए क्यों नहीं करत| चन्दा , ये महंगी साड़ियों और कीमती गहनों से सजी धजी सुहागने दिन भर बिना पानी और भोजन के व्रत करती हैं और तेरा इन्तजार करती हैं और जो तुम किसी दिन काली घटा में छुप जाते हो तो भूखी ही सो जाती हैं
,अपने पति और पुत्र को स्वादिष्ट पकवान खिलाने वाली स्त्री के परिवार वाले उसे भूखा क्यों रहने देते हैं? क्यों वो तुम्हे देखे बिना भोजन नहीं कर सकती ?
चन्दा , ये भोली स्त्रियाँ तुमसे अपने पति की लम्बी उम्र क्यों मांगती हैं जबकि तुमतो प्रेम के प्रतीक हो, उम्र के नहीं,तो तुमसे ये प्रेम की लम्बी उम्र क्यों नहीं मांगती ?
चन्दा तुम ही कहो क्या बिना प्यार ,बिना विश्वास ,बिना लगाव के कोईरिश्ता लम्बा चल सकता है ? नहीं ना तो क्यों ना इस दिन प्यार की लम्बी उम्र मांगीजाये ना की किसी व्यक्ति की...
चन्दा , ये सुहागने छलनी से पहले तुम्हारा और फिर अपने पति का चेहरा क्यों निहारती हैं ? और पति परमेश्वर भी खुश होते हैं की उनकी तुलना चाँद से की जारही है लेकिन तुम ये बताओ की क्या छलनी के दोनों और खड़े हुए साथियों ने कभी इक दूसरे के मन में झाकनें का प्रयत्न किया है ?मन पर पड़े सुराख़ दिल में हुए घावऔर उनसे छलनी छलनी हुआ अंतर्मन कभी देखा है ?
बोलो चन्दा इक सवाल और क्या ऐसा नहीं हो सकता की दोनों ही साथी इक दूसरे केलिए व्रत करे , भूखे रहें और छलनी से तुम्हें नहीं इक दूसरे के मन में झाकें और तुमसे, इक दूसरे की लम्बी आयु नहीं वरन प्यार की लम्बी उम्र मांगें . मिटटी के करवे में अन्न की जगह हम दिल के करवें में प्यार , त्याग , समर्पण भर कर इक दूसरे को दें
गहनों की तरह रिश्तों को गले में टांगें नहीं और ना ही उन्हें वेड़ियाँ बनने दें| रिश्तें , यदि प्रेम से सराबोर हों तो आभूषण के बिना भी स्त्री सुन्दर लग सकती है|
चंदा, प्यार के तेज से हर चेहरा चमकता है|है न ? तुम सारे राज , जानते हो किसके मन में क्या है |क्या तुम इस दिन मन ही मन मुस्काते हो ? या दर्द से भर जाते हो ?
ओ चन्दा सदियों से तुम्हें लोग सुन्दरता और प्रेम की निशानी समझते आये हैं|क्या प्रेम की इस निशानी के दिल पे पड़े दागों को किसी ने देखा है उन्हें छुआ है ? क्या तुम्हारा मन भी छलनी हुआ है कभी ? बोल ना , चंदा आज तो सच बोल ही दे -------------
2 comments:
ओ चन्दा सदियों से तुम्हें लोग सुन्दरता और प्रेम की निशानी समझते आये हैं|क्या प्रेम की इस निशानी के दिल पे पड़े दागों को किसी ने देखा है उन्हें छुआ है ? क्या तुम्हारा मन भी छलनी हुआ है कभी ? बोल ना , चंदा आज तो सच बोल ही दे -
बात तो आपने बिल्कुल सच कहीं ममता जी....अक्सर मेरे मन में भी कुछ इस तरह के सवाल उठते रहते हैं....क्यूँ हर बार हम स्त्रियों से ही हर बात की उम्मीद की जाती हैं...
ओ चन्दा सदियों से तुम्हें लोग सुन्दरता और प्रेम की निशानी समझते आये हैं|क्या प्रेम की इस निशानी के दिल पे पड़े दागों को किसी ने देखा है उन्हें छुआ है ? क्या तुम्हारा मन भी छलनी हुआ है कभी ? बोल ना , चंदा आज तो सच बोल ही दे -------------
बात तो आपने बिल्कुल सच कहीं ममता जी.....अक्सर मेरे मन में भी कुछ इस तरह के सवाल उठते हैं जिनका जवाब ही नहीं मिलता....हर बात सिर्फ हम स्त्रियों से ही हर बात की उम्मीद की जाती है.....
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