यादों के सब जुगनू जंगल में रहते हैं

बुधवार, मई 12 By मनवा

इन दिनों गर्मी ने सभी के हाल बेहाल कर दिए है , कहीं से भी दूर दूर तक ठंडी हवा के झोकों का अता पता नहीं है हर मौसम के अपने अलग रंग और अलग ढंग है कभी ये अपनी आग से झुलसा जाते है तो कभी ठण्ड से ठिठुरा कर जमा जाते है तो कभी बारिश की बूंदों से हमें सराबोर कर जाते है ये मौसम बदलते रहते है और हमारे भाव भी इनके साथ बदलते रहते है
नहीं बदलते है तो सिर्फ " यादों के मौसम " हाँ ये मौसम कभी नहीं बदलते हैं और ना इनका आने जाने का कोई वक्त ही होता है ये जब चाहे मुहँ उठाये आ खड़े होते है कभी ये हमें विरह की आग से झुलसा जाते है तो कभी आसुओं की बारिश में भिगो देते है , कहते है दुनियां की हर चीज इक दिन मिट जाती है लेकिन यादें --- कभी नहीं जाती अरे , आप कहाँ खो गए आ गयी ना किसी की याद , इक बात कहूँ हमारे जीवन का हर आने वाला पल इक सपना है क्या पता वो आये न आये जो हमारे साथ गुजर गया है वही अपना है उसकी यादें बस हमारी है जिसे हमसे कोई नहीं छीन सकता किसी ने क्या खूब कहा है " आने वाला पल इक सपना है , बीता हुआ पल ही अपना है हम बीते पल में जीते है यादों के सब जुगनू जंगल में रहते है "
है ना सही बात , ना जाने कितनी यादें दिल के बियाबान में जुगनू की तरह घूमती रहती है और हम उन्हें पकड़ने जाते है तो वो ग़ुम हो जातीं है ये यादें हमें जिन्दा रखती है , ये यादें हमारी जिंदगी का हिसाब रखती है
हमने क्या खोया क्या पाया क्या दिया क्या लिया ये इसका निचोड़ है
बचपन में इक कविता सुनी थी आज आप से शेयर कर रही हूँ
" यादों के धुंधले दर्पण में ,बीते हर पल की छाया है , हर मोड़ पे मेने जीवन के कुछ खोया है कुछ पाया है
कुछ अंतर्मन की पीडाए अपने ही लोग ना समझे है , जितने सुलझे है प्रश्न यहाँ वो रेशम जैसे उलझे है
क्यों मन कहने को अपना है ? जब इसमे दर्द पराया है ? हर मोड़ पे मेने जीवन के कुछ खोया है कुछ पाया है
यादों के धुंधले दर्पण में "
तो चलिए यदि इस बेदर्द गर्मी से आप बेहाल है तो यादों के मौसम से सावन चुरा लायें और ये भी ना कर सके तो यादों के जंगल से इक जुगनू पकड़ लाये जो आपको इस दुनिया से दूर इक दूसरी दुनिया में ले जाए -जहां गम भी ना हो , आसूं भी ना हो बस प्यार ही प्यार मिले ---

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