जाते -जाते वो मुझे --------------------

बुधवार, अगस्त 4 By मनवा

दोस्तों आप सभी को मित्र दिवस की शुभकामनायें .जिनके बहुतेरे मित्र हैं अगले बरस तक उनके खाते में और मित्र जुड़े और जिनका कोई भी मित्र नहीं है वो इस मित्र दिवस पर नये मित्र बनाकर अपना खाता खोले ऐसी शुभकामना है


हमारे इक मित्र हैं जो अक्सर कहते है की अपने खाते में , मैं हमेशा अच्छे मित्र रखता हूँ और मैं भाग्यशाली हूँ की मेरे मित्र हमेशा मेरी सहायता को तत्पर रहते है --उन मित्र की बात सुन कर मैं हैरान हूँ क्या मित्र लाकर में रखे गहनों की तरह होते है जिन्हें जब चाहा उठाया और उपयोग कर लिया और फिर बंद कर दिया मुझे तो लगता है कीमित्रता तो वो कोमल पौधा होती है जिसे हमेशा हमारे स्नेह की स्पर्श की देखभाल की जरुरत होती है हमारे प्रेम की उष्मा से ही ये पौधा पल्लवित होता है


उन मित्र से मैं कह ना पाई लेकिन आपसे कहना चाहूगीं


हमारे मित्र , हमारे रिशते कोई बेजान वस्तु नहीं है ये अति कोमल हसास हैं ये हमारी जागीर नहीं है ये परमात्मा का दिया वरदान होतें है यदि इन्हें सहेजा नहीं गया तो फूलों से खुशबु की तरह कब उड़ जायेगे हमें पता भी नहीं चलेगा फिर चाहे हम हमारे लाकर को कितना भी सुरक्षित कर ले ये तितलीयां वापस नहीं आती इन्हें बुलाने के लिए प्रेम के , अहसास के फुल खिलाने होगें -तो जाइए देखिये इस मित्र दिवस पर आपके खाते से कोई मित्र खुशबु की तरह उड़ तो नहीं गया --और यदि जा रहा हो तो रोक लो कहीं ऐसा हो की आप कह उठे " जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया , उम्र भर दोहराउगा ऐसी कहानी दे गया

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें