भूल गया सब कुछ , याद नहीं अब कुछ ....

सोमवार, अक्तूबर 13 By मनवा , In


अक्सर जब चार लोग आपस में बैठकर बातें करते हैं या किसी परिवार में कोई उत्सव के समय एकत्रित होते हैं तो खूब बातें खूब गपशप होती है | जूनी -पुरानी यादों को दिमाग के बक्से में से खंगाल खंगाल कर बाहर लाया जाता है और साझा किया जाता है | ये मानवीय स्वभाव है कि हम सभी सुखद अनुभूतियों को सहेज कर रखते है और जिन्दगी भर उन्हें याद कर के खुश होते रहते है | लेकिन अगर कोई दोस्त या परिचित हमें कोई दुखद घटना या पीड़ादायक बात याद दिला देतो हम झट से कह देते है " वो घटना मैं भूल चुका हूँ /चुकी हूँ या वो बात मुझे अब याद नहीं
जब हम हमारी सुखद अनुभूतियों को जीवन भर याद रखते हैं तो क्या दुखद यादें भूल सकते है
नहीं कभी नहीं ,फिर क्या बात है कि लोग दुखद घटनाओं को भुला देना चाहते हैं और कहीं  जाकर छिपा देते हैं उन बुरी यादों को , वो पीड़ादायक बातों को दफ़न कर देते हैं | वो कौनसी काली गुफा है  जहाँ सभी अनुभूतियों और अपूर्ण इच्छाओं को पनाह मिलती है ? कैसे दमन कर देते हैं हम हमारी यादों को  सभी पीडाओं को  ? क्या है भूल जाने या "याद न करने का मनोविज्ञान " चलिए जानते हैं
हम जीवन भर दो दुनिया के बीच युध्द लड़ते रहते हैं एक बाहरी दुनिया जहाँ हमारे रिश्ते-नाते , दोस्त यार और अन्य लोग होते हैं , दूसरी दुनिया हमारी भीतरी दुनिया होती है जहाँ जीवन भर हमारे चेतन , अवचेतन के बीच संघर्ष चलता रहता है | ये भीतरी दुनिया का प्रभाव बाहरी दुनिया पर बहुत पड़ता है व्यक्ति का व्यवहार उसके रिश्ते सभी इस भीतरी दुनिया से संचालित होते हैं
चेतना के स्तर पर तो व्यक्ति सभी संघर्षों से निपट ही लेता है लेकिन जब संघर्ष अचेतन का हो तो  बड़ी मुश्किल होती है
व्यक्ति लाख कोशिश करे लेकिन उसकी अपूर्ण इच्छाएं, उसकी अव्यक्त अनुभूतियाँ  उसे जीने नहीं देती , उसके इगो , सुपर इगो उसे कभी भी उसके मन की नहीं करने देते परिणामस्वरूप इन जिद्दी इच्छाओं का,दुखद अनुभूतियों का दमन करना होता है लेकिन ये वहां अचेतन में भी सक्रीय रहती है| चैन से नहीं बैठती | फिर क्या किया जाये ? क्या कोई ऐसी विधि है जो इन इच्छाओं के प्रेतों से, यादों के भूतों से मुक्ति दिला सके | मनोविज्ञान में कुछ महत्वपूर्ण मनोरचना विधियाँ है जिन्हें Mentel  Mechanisms  कहते है इनके द्वारा समाधान किये जाते हैं  |
सबसे पहले बात एक महत्वपूर्ण मनोरचना विधि जिसका नाम दमन है यानि Repression
दमन एक मनोरचना है ये दूसरी मनोरचनाओं से महत्वपूर्ण और भिन्न है इसमे चेतन का संघर्ष है और समाधान भी निहित है | जबकि अन्य मनोरचनाओं में अचेतन का संघर्ष होता है और उसे दूर करने का प्रयास भी कियाजाता है
इसे सरल भाषा में समझे , जैसे किसी व्यक्ति के मन में हजारों इच्छाएं हैं जिन्हें वो समाज के हिसाब से अनैतिक समझता है , समाज के कारन वो अपनी इच्छाओं को पूरा नहीकर सकता और ये अधूरी अपूर्ण इच्छाएं उसके मन और मस्तिष्क के बीच संघर्ष उत्पन्न कर देती हैं | व्यक्ति मन ही मन परेशान और दुखी रहने लगता है
इस असहनीय पीड़ा और दुःख से बचने के लिए वो उन दुखद इच्छाओं का दमन (repressicn) अचेतन मन में कर देता है और व्यक्ति उन इच्छाओं को भूल जाता है यह क्रिया अचेतन रूप में होती है इसलिए व्यक्ति को स्वयम भी ज्ञान नहीं रहता यानी दमन वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा दुखद एवम कष्टकर इच्छाएं या विचार मन के अवचेतन भाग में दमित हो जाते हैं जैसे कोई बीज गहरी मिट्टी में दबा दिया जाए
इसे इस उदाहरण से समझे ..एक व्यक्ति के मन में अपनी भाभी के प्रति कामवासना उत्पन्न हुई परन्तु अनैतिक होने के कारन चेतन ने इसे अस्वीकार  कर दिया और तमाम मानसिक संघर्षों के उपरान्त काम  भाव का दमन अचेतन मन में हो गया और चेतना के स्तर से संघर्ष समाप्त हो गया व्यक्ति इस अवस्था को खुद को आरामदायक फील करता है |
यहाँ ये स्पष्ट कर दूँ कि दमन की क्रिया दलन  या suppression या अवरोधन inhibition कतई नहीं है इन क्रियाओं में व्यक्ति जानबूझकर दुःख और पीड़ा को चेतना से हटा देता है और उसके लिए कठिन मेहनत भी करता है उदहारण से समझे -एक व्यक्ति किसी स्त्री से बहुत प्रेम करता है और उसे प्राप्त करना चाहता है लेकिन सामाजिक मर्यादा के कारन ये असम्भव है तो व्यक्ति उस स्त्री की यादें , बातें और ख्यालों से खुद को दूर रखने के लिए , उस पीड़ा से बचने के लिए रोने धोने की बजाय कोई कामेडी फिल्म देखता है या कोई संगीत सुनता है या कोई किताब पढता है और इस तरह वो जानलेवा यादों से , पीडाओं से खुद को बचा लेता है यानि वो अपने मानसिक संघर्षों का तिरस्कार कर देता है , लेकिन ये दमन नहीं दलन की क्रिया है यहाँ व्यक्ति ने जानबूझकर अपना ध्यान लक्ष्य से हटाकर कहीं दूसरी जगह लगाना चाहा है | लेकिन यही अनुभूति अगर बिना किसी प्रयास के अपने आप बिना किसी प्रयत्न के अचेतन में चली जाये और व्यक्ति को इसका ज्ञान या भान ही न हो तो ये स्थिति दमन कहलाती है
अब बात अवरोधन यानी inhibition की इस क्रिया में व्यक्ति अपनी दुखद अनुभूतियों को या अनैतिक या असामाजिक इच्छाओं को चेतन में ही रोक लेता है उसे सब खबर रहती है लेकिन वो जानबूझकर अनुकूल कार्य नहीं करता है उदाहरन एक व्यक्ति अपनी माँ या प्रेमिका के खत का जवाब जानबूझकर नहीं देता क्योकिं वो उन सवालो या अनुभूतियों से खुद को बचाना चाहता है | वो उन खतों को बार -बार पढता है लेकिन जवाब नहीं देता खतमें भेजे प्यार और स्नेह को वो बार –बार पढ़कर पा लेना चाहता है लेकिन बदले में वो खत का जवाब नहीं देता क्योकिं वो जवाब देने की स्थिति उसके लिए पीड़ा और दुःख का कारन बनती है इसलिए वो जानबूझकर जवाब नहीं देता |
उपरोक्त तीनों मानसिक मनोरचनाये हैं जिनके द्वारा व्यक्ति दुखद चीजों को भुलाने का प्रयास करता है | और अपने मानसिक संघर्षों से खुद को बचा लेता है | इन मनोरचनाओं का हमारे जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है | लेकिन ये दमन,दलन और अवरोधन हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है |  व्यक्ति अगर अपनी इच्छाओं , कुंठाओं और अनुभूतियों का दमन नहीं करे तो वो पागल ही हो जाये
इच्छाओं का दमन अवचेतन में होना अनिवार्य है  दिलचस्प बात ये कि अवचेतन में जाकर भी ये इच्छाएं मरती नहीं हैं लेकिन हमारा दिमाग उन्हें अनुशासन में रखता है | व्यक्ति को जीवित रहने के लिए मानसिक संघर्षों से बचना ही होता है उसकी ये दमित इच्छाएं यदि विकृत हो जाये तो व्यक्ति उन्मादी , चिंता से ग्रसित और अवसादी हो जाता है , वो अपनी इच्छाओं की पूर्ती न होने पर सिगरेट , शराब का नशा करता है या नींद की गोलिया खाकर खुद को भुलाये रखता है
लेकिन इसके विपरीत जब एक युवक अपनी इच्छाओं की संतुष्टि नहीं कर पाने पर कविता लिखता है , चित्रकारी करता है , संगीत रचता है तो समाज उसे आदर से देखता है उसका वो मानसिक संघर्ष उदात्तीकरण Sublimation में बदल जाता है और व्यक्ति अपनी इच्छाओं को संतुष्ट कर पाता है

उपरोक्त सभी बातों से स्पष्ट हो गया है कि व्यक्ति दरअसल कुछ भूलता ही नहीं और न कभी इच्छाएं मरती है | वो यदा कदा अचेतन के झरोखों से झांकती रहती है कभी कविता के रूप में कभी कहानी बनकर या कभी सपने सुहाने बनकर
और हम इतने समझदार हो जाते हैं कि  अपनी अपूर्ण इच्छाओं को सपने में पूर्ण होते देखते हैं और नींद खुलते ही कहते हैं " भूल गया सबकुछ याद  नहीं अब कुछ ..." 

                                                                               



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