संवेदनाओं की आहट
आज बहुत दिनों के अंतराल के बाद फिर आप सबसे मुखातिब हूँ , किसी मित्र ने सलाह दी है की कुछ इस तरह लिखो की किसी के काम आये इन दिनों यही सोचती रही की --क्या हर लिखा जाने वाला लेख , या लिखी कविता या की कोई भावनाओं में डूबा पत्र क्या इसी नियत से लिखा जाता है की वो किसी के काम आये ? क्या रविन्द्र नाथ टेगोर जब गीतांजली में खुद को अभिव्यक्त कर रहे थे तब क्या उन्होंने तनिक भी सोचा था की ये किसी के काम आने वाली है या की जब महादेवी वर्मा ने "बदली "के माध्यम से अपनी पीड़ा को व्यक्त किया और कह उठी की मैं नीर भरी दुःख की बदली , उमड़ी कल थी मिट आज चली -----के पीछे किसी के काम आने या ना आने का भाव छुपा था ? कतई नहीं --जब आप खुद को किसी के सामने अभिव्यक्त करते है तो बस करते है चाहे वो लेख के माध्यम से करें या कविता या की पत्र ही क्यों न हो आप अपनी भावनाए संवेदनाएं व्यक्त करते है तो बस करते है उससे समाज का कितना भला होने वाला है या वो रचना किसी के लिए कितनी उपयोगी होगी इसका हिसाब - किताब कोई लेखक या रचना कार कैसे रख सकता है ये हिसाब किताब तो कोई व्यापारी ही रख सकता है या फिर वो चतुर लोग जो इस दुनिया में लाभ के रिश्ते , जरूरत के रिश्ते और अवसरों के रिश्ते बनाते हैं
मेरा लेखन किसी के कितने काम आने वाला है ये तो नहीं पता लेकिन " मनवा " के जरिये मैं उन दिलो के दरवाजों पर जरुर दस्तक देने वाली हूँ जिन पर दुनियादारी की जंग लग चुकी है और जो किसी भी भावना संवेदना और प्रेम की अनुभूति से नहीं हिलते और ना खुलते है ---चलिए इक प्रयास करते है आज किसी दरवाजे को हिलाने का ,किसी को पिघलाने कहीं आहट देने का चलते चलते इक बात ---"-मंजिल का पता , अभी से ना पूछ ऐ दोस्त मैंने तो सफ़र अभी शुरू ही किया है ""
मेरा लेखन किसी के कितने काम आने वाला है ये तो नहीं पता लेकिन " मनवा " के जरिये मैं उन दिलो के दरवाजों पर जरुर दस्तक देने वाली हूँ जिन पर दुनियादारी की जंग लग चुकी है और जो किसी भी भावना संवेदना और प्रेम की अनुभूति से नहीं हिलते और ना खुलते है ---चलिए इक प्रयास करते है आज किसी दरवाजे को हिलाने का ,किसी को पिघलाने कहीं आहट देने का चलते चलते इक बात ---"-मंजिल का पता , अभी से ना पूछ ऐ दोस्त मैंने तो सफ़र अभी शुरू ही किया है ""
3 comments:
"जिन पर दुनियादारी की जंग लग चुकी है और जो किसी भी भावना संवेदना और प्रेम की अनुभूति से नहीं हिलते और ना खुलते है ---चलिए इक प्रयास करते है आज किसी दरवाजे को हिलाने का,किसी को पिघलाने कहीं आहट देने का"
पूर्ण समर्थन तथा हार्दिक शुभकामनाएं
Khoobsurat bhoomika.Swagat hai Manwa ka.........
aapane likha tha ki manavaa par kahaaniyaan bhi hogin wo kahaan hain -pujaa thakur
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